01 Jul

प्रेरक पहल

एक के बाद एक कई राज्यों ने अपने यहां गुटखा बनाने, बेचने और खाने पर प्रतिबंध लगाने का अध्यादेश जारी किया है। इसी क्रम में ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) के कुछ गांवों ने भी अपने यहां गुटखा, तंबाकू और मदिरा विक्रय, क्रय और सेवन को पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया है। इन गांवों में इन्हें बेचने वालों पर एक हजार, सेवन करने वालों पर पांच सौ रुपये का दंड और इनकी बिक्री व प्रयोग की सूचना देने वाले को सौ रुपये के इनाम की घोषणा की गई है। इस तरह की सामूहिक सामाजिक पहल हममें एक नई ऊर्जा भरती है। लगता है कि समाज में सब कुछ बुरा ही नहीं है। कुछ अच्छे काम भी हो रहे हैं। किंतु यह दुखद है कि इस प्रकार के सकारात्मक और समाज सुधारक कार्य अधिक प्रचारित नहीं हो पाते।

मीडिया नकारात्मक घटनाओं पर अधिक केंद्रित हो गया है, जबकि हम सबका यह सामाजिक कर्तव्य है कि सकारात्मक खबरों का ज्यादा प्रसारित करें। अब जब तंबाकू व शराब के प्रतिबंध के लिए लोगों में जागरूकता बढ़ रही है, तो शासन-प्रशासन, प्रेस-बुद्धिजीवी सभी की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस मुहिम को आगे बढ़ाएं। यह अपने आप में उपलब्धि है कि समाज के कुछ लोगों ने नशे की बीमारी के उन्मूलन की शपथ ली है। उन्होंने इसके लिए नशे के शिकार और इससे मुक्ति पा चुके लोगों को एकजुट करके यह अभियान चलाया है। चूंकि अधिकांश समाज नशे की चपेट में है, इसलिए यह कदम मुखर नहीं बन सका है। पर जो लोग नशा नहीं करते, उनके लिए यह बड़ी कामयाबी है।

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